Posts

Showing posts from December, 2013

आज़ ये क़ायनात और होती

उनकी आँखों में लाख नगमे हों लब जो हिलते तो बात और होती लाख तारे हों शब के दामन में चाँद दिखता तो रात और होती इश्क बस फ़लसफ़ा न होता तो आज़ ये क़ायनात और होती हर एक चेहरे में तुम नज़र आते उफ़ ये आदम की ज़ात और होती