आज फिर...

आज फिर तुझसे मुलाकात करूँ
नम हवाओं से तेरी बात करूँ

जाने कब से सुबह नहीं देखी
चाँद के नाम आज रात करूँ

मेरे हिस्से में तू है और दिल है
नाम तेरे ये कायनात करूँ

जानता हूँ गुनाह है इश्क तेरा
चल आज फिर ये वारदात करूँ 

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