नहीं होते

दूर तक जाने वालों के हमसफ़र नहीं होते
आसमानी परिंदों के सुना है घर नहीं होते

चुरा कर ले गए सपनों की सारी गठरियाँ एक शब
हम इतना बोझ ढोते वो गर रहबर नहीं होते

उड़ा करते हैं जब भी देखिए वो आसमानों में
ये कैसे मान लें हम आदमी के पर नहीं होते

जहाँ साया नहीं जाता, वहां संग याद जाती है
जो होते हैं दिलों में साथ वो अक्सर नहीं होते

हम उनकी झूठी हमदर्दी पे मर के जी उठें ऐ दिल
मगर क़ातिल तो क़ातिल हैं वो चारागर नहीं होते

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