एक चम्मच मुस्कान

आज सूरज उगने पर
मैंने देखा
कि मेरा प्रेम
ज़रा जल्दी जाग पड़ा
कुछ देर रूक कर
छोड़ दिया उसने
सिराहना
प्रिय के बिस्तर का
आश्चर्य !
नहीं गया वो
मलिन बस्तियों की ओर
सत्यापित करने
वसुधैव कुटुम्बकम का
भारी भरकम सिद्धांत
नहीं छुपा वो
जाकर
चाय का गिलास धोते
बच्चे की उधड़ी जेब में
नहीं उड़ाया आज उसने
बुढ़ापे का मखौल
वृद्धाश्रम के सालाना जलसे में
कर्तव्य और सम्मान पर
चुटीला भाषण देकर
मैंने देखा
आज उसने खटखटाया
अनचीन्हा दरवाज़ा
पड़ोसी के घर का
और परोसी गई चाय की प्याली में
घोल कर पी ली
एक चम्मच खालिस मुस्कान








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