मेटामॉरफॉसिस
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चित्र: इंटरनेट से एक रात सोकर जगने के बाद अचानक बदल सकता हो एक व्यक्ति , संभव है स्मृतियाँ बदलती हैं धीरे - धीरे वे अंडे से निकलकर चिड़िया नहीं बनतीं न इल्ली से तितली वे रातों रात व्यक्ति से नहीं बन जातीं एक विशाल कीड़ा वे बनती हैं हवाओं की तश्तरी से आग का गोला देखते - देखते फिरने लगती हैं तुम्हारे चारों ओर एक दिन सिमटा हुआ देख अपना अस्तित्व स्मृतियों के विशाल ब्रह्मांड में किसी छुद्र धूमकेतु की भाँति बुझते हुए तुम पूछते हो , ‘ अब मुझे वह याद क्यों नहीं ...