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मुझको तुमसे प्यार है

तुम्हारा नाम क्या है कहाँ रहते हो तुम न जाने कौन हो तुम कैसे दीखते हो तुम तुम्हारी आँखें काली हैं या भूरी और आवाज़ कोमल है या गहरी तुम्हारे हाथ सख्त हैं या नर्म तुम्हारी साँसें ठंडी हैं या गर्म तुम्हारी हँसी कैसी है खनकती हुई या खामोश या बस मुस्कान ही छू पाती है तुम्हारे होठ तुम्हारे बारे में कुछ भी तो नहीं जानती हूँ' मगर तुम कहीं मेरे लिए ये मानती हूँ मुझे अनजाने ही तुम्हारा इंतज़ार है न जाने कौन हो तुम मुझको तुमसे प्यार है

आँखों की कविता

जब उसकी नज़रो ने झाँका मेरी आँखों में तो समूची सृष्टि में कोई भी न था हम दो के सिवा उस अलौकिक एकांत में पढ़ता रहा मैं उसकी आँखों से झरती अनुराग की कविता और फिर आँखें झुक गईं एकांत खो गया पर कविता जीवित है, रहेगी।