ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल 2021 का आखिरी दिन

 ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल 2021 का आखिरी दिन। तुम्हारे लिए एक प्रार्थना। सौंदर्य और खुशी तुम्हारी आँखें चूमें।

तस्वीर में ज़ूव है, जो बहुत कम समय के लिए इस साल जीवन का हिस्सा रही


साल के अंतिम दिन सोकर जागते ही आँखों ने यह प्रार्थना पढ़ी. भोपाल की कोलार रोड की पहाड़ियों पर धुँध के बीच मद्धम चमकते सूरज की रौशनी और सुनहरी हो गई. सुनहरी और ट्रांसलुसेंट, वैसी रौशनी जैसी सिनेमा में किसी दिव्य घटना की साक्षी होती है. प्रार्थनाएँ दिव्य होती ही हैं.


कल रात देर तक मैं और वी ईश्वर के अस्तित्व के बारे में बात करते रहे. उसका कहना था कि हमें ईश्वर के अस्तित्व को नकार देना चाहिए क्योंकि ईश्वर का इस्तेमाल करके हमें बरगलाना और हमारा इस्तेमाल करना बहुत आसान हो जाता है. वो धर्म और आध्यात्म जैसे शब्दों से बहुत नाराज़ थी. उसका कहना था कि अगर ईश्वर, मानव जैसी कोई संरचना है जो अपनी इच्छा से कुछ भी कर सकता है, तो वह एक शैतान बच्चा है जो हमारे साथ खेल-खेल रहा है. 


धर्म की किताबों पर जाएं, तो वहाँ उस शैतान बच्चे का भी ज़िक्र है जो मुट्ठी भर-भर कर ब्रह्मांडों को बनाता और मिटाता रहता है. ऐसे में हम, हमारी इच्छाएँ, हमारी समझ कुछ भी तो नहीं हैं. बस प्रार्थनाएँ ही हैं जो एक पल के लिए हमारे निरर्थक जीवन के बोझ को कुछ देर के लिए हमसे ले लेती हैं, ताकि उस एक पल में हम वाक़ई उस तिनके सा महसूस कर सकें जो हम हैं. स्पेक ऑफ़ एन एटम.


प्रेम और प्रार्थना दो अलग चीज़ें नहीं हैं. 


वी ने कहा कि ईश्वर के अस्तित्व को न मानने के बावजूद मैं देखती हूँ कि जब मुझे डर लगता है तो मैं मन ही मन किसी देवता से मनाने लगती हूँ कि ऐसा हो, ऐसा न हो. मैं डर में प्रार्थना करने लगती हूँ. डर यानी जब कोई रास्ता नहीं दीखता, अँधेरा. अँधेरे में हम संभाल लिए जाना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि कोई हमारा बोझ उठा ले. क्राइस्ट की तरह. हम प्रार्थना करते हैं. हम ईश्वर खोजते हैं. उस ईश्वर को भी, जिस पर हम यकीन नहीं करना चाहते. 


यानी कि प्रार्थना, कुछ पाने की याचना करना हममें स्वाभाविक ही है. कुछ है, जो हमसे विशाल है, हमसे अधिक पूरा है. हम स्वाभाविक ही उस कुछ में आश्रय पा लेना चाहते हैं.  आसरा, आश्रय, एक सुरक्षित स्थान, घर. हम सब कहीं न कहीं यही चाहते हैं, माँगते हैं. 


और जब कोई प्रिय तुम्हारे लिए प्रार्थना करे? कि जब तुम डरे हुए नहीं हो, सोकर जागे ही हो और तुम देखो कि एक सर्द सुबह में तुम्हारे भीतर और बाहर दोनों ओर रौशनी ही रौशनी है. एक प्रार्थना ने तुम्हारे उन डरों को तुमसे ले लिया है जो तुमने अभी देखे तक नहीं थे. तुम्हें एक रौशनी ने गले लगा लिया है, तुम्हें आहिस्ता से ये बताते हुए कि तुम उस रौशनी से अलग नहीं हो, उसी का एक कतरा हो. 


रौशनी फिर ठहरती नहीं है. प्रार्थना सिर्फ एक मुझ तक नहीं रुकती. प्रकाश, जिसकी गति विज्ञान और आध्यात्म का एकलौता सच है, वह बढ़ता जाता है. जिसे छूता है उसे प्रकाशित करते हुए, उसके डरों को मिटाकर उसे स्वतंत्र और सुंदर करते हुए.


सुबह की वह प्रार्थना सिर्फ मेरे लिए नहीं, तुम सभी के लिए है. सौंदर्य और खुशी तुम सभी की आँखें चूमें. 

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