बहुत सारे विचार, बहुत सारी आवाजें एक साथ उमड़ घुमड़ रही हैं मन में जैसे प्रेशर कुकर में पकती खिचड़ी में दाल और चावल. शुतुरमुर्ग की तरह आँख बंद कर लेने का भी सहारा नहीं. शब्दों से बनी तस्वीर को ना तो किसी रौशनी की ही ज़रुरत और न ही ऑप्टिकल नर्व की . एक तरफ़ से आवाज़ आ रही है 'सेक्स इज़ नॉट द ग्रेटेस्ट ग्लू बिटविन टू पीपल, लव इज़'. दुसरे कोने में कोई सधी हुई आवाज़ में कह रहा है ' अ बैड लैप्स ऑफ़ जजमेंट एंड एन औफ़ुल रीडिंग ऑफ़ द सिटुएशन हैड लेड टू एन अनफॉरचुनेट इंसिडेंट'. एक आवाज़ और भी है, पॉवर, पैसे और नाम के नशे में चूर 'दिस इज़ दी इज़ीएस्ट वे फॉर यू टू कीप द जॉब..'और आख़िर में एक गंभीर महानता का आवरण ओढ़े एक और आवाज़ ' आई हैव आलरेडी अनकंडीशनली अपोलोजाइज्ड फॉर माय मिसकंडक्ट टू द कंसर्नड जर्नलिस्ट, बट आई फील टू एटोन फरदर' उफ़्फ़ सर चकरा रहा है मेरा... किस आवाज़ को सच मानूं. एक तरफ़ हैं एलकैमी ऑफ़ डिज़ायर जैसी किताब के लेखक, तहलका जैसी अवार्ड विनिंग पत्रिका के मुख्य संपादक तरुण तेजपाल और दूसरी तरफ है एक ऐसा आदमी जो अपने ऑफिस में काम करने वाली लड़की पर यौन उत्पीड़न का प्रय...