और बरसात आ गई

रात भर की भीगी
छोटे कसबे की
कमज़ोर सड़क
सड़क के छोर पर
किसी के इंतज़ार में
रात भर का जागा
बूढ़ा, पहाड़ी जंगल
जंगल के कांपते कन्धों पर
धुंध की मोटी, मैली खद्दर
खद्दर के धागों में उलझे
छोटे छोटे सपने
कस्बे भर के
और मैं
फिर भीग गए
और बरसात...
...आ गई

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