मैंने जिंदगी पी है

कल ही आना ऐ हवा
लेकर अपनी लोरियाँ
आज तो नींद का गाँव
कहीं पीछे छूट गया

मुझसे मत पूछ ज़मीं
चाँद के घर का पता
झूठा दरपन था कोई
गिर के यूँ ही टूट गया

जल न अब मुझ से दिये
तू ही सो जा जा के
मैंने सब ख्वाब बुझाके
तुझ से माफ़ी ली है

आज सब माफ़ करो
मैं नशे में हूँ ज़रा
मैंने छुप के ही सही
थोड़ी ज़िंदगी पी है

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