विकास का बदरंग लॉलीपॉप
विकास का बदरंग लॉलीपाप इन दिनों , चाहे रेल बजट हो या आम बजट , चुनावी वादे हों या बाद की घोषणाएं , वाई फाई एक ऐसा लॉलीपाप बन चुका है जिसे सभी देश की जनता को थमा देना चाहते हैं. कुछ इस तरह जैसे नए कपड़े या जूते की जिद करते नादान बच्चे का ध्यान एक समझदार माँ टॉफी , चौकलेट दिला कर भटका देती है. आज़ादी के अड़सठ साल बाद भी देश की मुख्य समस्याएँ स्वच्छ पेयजल , आवास , सड़क एवं परिवहन , शिक्षा और रोज़गार ही हैं. महिला सुरक्षा , आदिवासी हितों और किसान आत्महत्याओं की तो बात ही न उठे तो बेहतर है. ऐसे में वाई फाई का लॉलीपॉप कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल नहीं है. डिजिटल डिवाइड को कम करने या मोबाइल डेंसिटी बढ़ाने की कोशिशें गलत नहीं हैं. पर इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण और मूलभूत आवश्यकताओं की कीमत पर ये कोशिशें कितनी सही हैं , यह सोचने का विषय है. ऐसा नहीं है कि बाकी समस्याओं और आवश्यकताओं पर योजनायें नहीं बनतीं. योजनायें हर बजट के साथ आती हैं पर उनका सही क्रियान्वन और उस क्रियान्वन का निष्पक्ष मूल्यांकन देखने को नहीं मिलता. संसद में हो-हल्ला करते हुए हिंसक...